Bilaspur News Today | हे सूर्यदेव, कुछ क्षण के लिए धीमे हो जाओ, नहीं तो रघुकुल का सूर्य तुम्हारे उदय होते ही अस्त हो जाएगा। तुम्हारे वंशज केवल यही प्रार्थना करते हैं कि आज तुम कुछ देर के लिए धीमे हो जाओ। जिले के नगर पालिका परिषद परिसर में आयोजित रामलीला की आठवीं संध्या पर पंडाल में सन्नाटा छा गया था। भगवान श्रीराम युद्ध के दौरान ब्रह्म शक्ति बाण लगने से मूर्छित हुए लक्ष्मण के लिए विलाप कर रहे थे। Bilaspur News Today रामलीला की आठवीं संध्या के आरंभिक दृश्य में लक्ष्मण और रावण के पुत्र मेघनाद के बीच खूनी युद्ध हुआ। मेघनाद ने ब्रह्म शक्ति बाण का प्रयोग किया। यह बाण लक्ष्मण को लगा, जिससे वे मूर्छित हो गए। राम शिविर में सभी मौन थे।
मूर्छित पड़े लक्ष्मण का उपचार करने के लिए लाए गए वैद्यराज सुषेण ने बताया की हिमालय में पाई जाने वाली संजीवनी बूटी सूर्योदय से पहले यहां लाने पर लक्ष्मण के प्राण बचा सकती है। इस जड़ी-बूटी को लेकर आने की जिम्मेदारी साहसी हनुमान ने ली थी, जो इसे आकाश मार्ग से ले जाने के लिए निकल पड़े। गंधमादन पर्वत पर हनुमान ने उनका रास्ता रोकने पर राक्षस कालनेमि का वध किया। हिमालय में जड़ी-बूटी को पहचानने में असमर्थ हनुमान ने द्रोणागिरी पर्वत उठाकर इसे ले गए।
इस संजीवनी बूटी ने लक्ष्मण को जीवन दिया था। फिर, अगले दृश्य में, भगवान श्रीराम और रावण के शक्तिशाली भाई कुंभकरण के बीच खूनी युद्ध हुआ। इसमें कुंभकरण ने अपने प्राण गंवा दिए। अगले दृश्य में एक बार फिर लक्ष्मण और मेघनाद के बीच युद्ध हुआ। इसमें लक्ष्मण ने मेघनाद का वध कर दिया। क्रोधित लक्ष्मण ने मेघनाद का सिर काट दिया
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