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Shimla News Today: हिमाचल सरकार केंद्रीय करों में हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए वित्त आयोग से लड़ेगी

सार
Shimla News Today। हिमाचल प्रदेश सरकार अब केंद्रीय करों में राज्य की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए कदम उठाने जा रही है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू 16वें वित्त आयोग के सामने एक एडिशनल मेमोरेंडम पेश करेंगे, जिसमें तीन नए तर्क दिए जाएंगे। हिमाचल का दावा है कि राज्य की योगदान को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए, खासकर जब राज्य का इकोलॉजिकल योगदान और अन्य सामाजिक व आर्थिक इंडिकेटर्स बेहतर हैं।
विस्तार
हर साल राज्य के राजस्व और खर्चों के बीच बढ़ते अंतर को देखते हुए हिमाचल सरकार अब अनुदान के बजाय केंद्रीय करों में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने की रणनीति पर विचार कर रही है। आगामी वित्तीय वर्ष से 16वें वित्त आयोग की सिफारिशें लागू होने वाली हैं, और इस संदर्भ में वित्त आयोग अपनी अंतिम रिपोर्ट जुलाई या अगस्त तक सरकार को सौंप सकता है। इस रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए, मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू अगले महीने दिल्ली में वित्त आयोग से मुलाकात करने जा रहे हैं। इस मुलाकात में हिमाचल सरकार केंद्रीय करों में राज्य की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए एक एडिशनल मेमोरेंडम पेश करेगी।
पिछले साल, वित्त आयोग ने शिमला दौरे के दौरान राज्य सरकार से एक मेमोरेंडम लिया था, लेकिन अब हिमाचल सरकार इस हिस्सेदारी के फार्मूले को चुनौती देने के लिए तीन नए तर्क पेश करने की योजना बना रही है। वर्तमान में, केंद्र सरकार अपने कुल टैक्स कलेक्शन का 40% हिस्से को राज्यों के लिए कॉमन पूल में डालती है, जिसमें हिमाचल को 0.83% की हिस्सेदारी मिलती है, जिसे राज्य बढ़ाना चाहता है।
राज्य का बजट घाटा करीब 7000 करोड़ रुपये है, जिसे न तो केवल अपने राजस्व से पूरा किया जा सकता है और न ही खर्च कम करके। इस समस्या का समाधान केंद्रीय करों में हिस्सेदारी बढ़ाने में ही है। मुख्यमंत्री इस मुद्दे पर आगामी वित्त आयोग से मुलाकात करेंगे और एक रिपोर्ट भी प्रस्तुत करेंगे, जिसे इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेस्ट मैनेजमेंट भोपाल से तैयार करवाया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, हिमाचल राज्य अपनी जंगलों की सुरक्षा के जरिए भारत को सालाना 90000 करोड़ रुपये की इकोलॉजिकल सेवाएं प्रदान करता है, और यह योगदान वित्त आयोग को ध्यान में रखना चाहिए।
इसके अलावा, राज्य सरकार यह तर्क भी दे रही है कि यदि राज्य की प्रति व्यक्ति आय और सामाजिक सेवा क्षेत्र, जैसे स्वास्थ्य और शिक्षा, देश के अन्य राज्यों से बेहतर हैं, तो इसका नुकसान राज्य को नहीं होना चाहिए।
सीएम सुक्खू ने बनाई कमेटी: Shimla News Today
मुख्यमंत्री ने इस मामले की त्वरित कार्रवाई के लिए एक विशेष कमेटी बनाई है, जिसकी निगरानी उनके प्रधान सलाहकार रामसुभाग सिंह कर रहे हैं। इस कमेटी में अतिरिक्त मुख्य सचिव फोरेस्ट, कमलेश कुमार पंत, प्रधान सचिव वित्त, देवेश कुमार, और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हैं।
हिमाचल के लिए क्यों जरूरी है केंद्रीय करों में बढ़ी हिस्सेदारी
हिमाचल का बजट पिछले दो वर्षों से 58,000 करोड़ रुपये के आसपास बना हुआ है, जिसमें टैक्स रेवेन्यू और नॉन-टैक्स रेवेन्यू मिलाकर 43,000 करोड़ रुपये की कुल आमदनी होती है। खर्चों का हिसाब करें, तो राज्य को 60,000 करोड़ रुपये की जरूरत है, जिसमें 27,000 करोड़ रुपये सैलरी और पेंशन के लिए हैं। यह घाटा केवल केंद्रीय सहायता और करों में हिस्सेदारी बढ़ाने से ही कम किया जा सकता है।
Chavi Sharma
Chavi Sharma is a senior content writer at Hindustan Reality with over 13 years of experience in content creation, blogging, and digital storytelling. Passionate about accurate and impactful journalism, she now brings her expertise to news writing — covering the latest updates from Himachal Pradesh with clarity and responsibility.