Shimla Politics News: जेपी नड्डा कर रहे हिमाचल की जनता को गुमराह
मेडिकल डिवाइस पार्क पर लगाए आरोप निराधार, प्रदेश सरकार ने जनता के हित में लिया फैसला;
Shimla Politics News: उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान और तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी ने केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा द्वारा मेडिकल डिवाइस पार्क को लेकर लगाए गए आरोपों को बेबुनियाद बताया। उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रदेश सरकार ने यह परियोजना बंद नहीं की, बल्कि बेहतर शर्तों और जनता के हित में इसे खुद संचालित करने का निर्णय लिया है।
नड्डा के आरोपों पर कांग्रेस मंत्रियों का पलटवार
हिमाचल प्रदेश सरकार के दो वरिष्ठ मंत्रियों, उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान और तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा पर हमला बोलते हुए कहा है कि वे जानबूझकर प्रदेश की जनता को झूठे बयानों के जरिए गुमराह करने का प्रयास कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि मेडिकल डिवाइस पार्क को लेकर जो आरोप लगाए गए हैं, वे तथ्यों से परे हैं। प्रदेश सरकार ने इस 350 करोड़ रुपये की परियोजना को बंद नहीं किया है, बल्कि इसे राज्य सरकार खुद विकसित करने जा रही है, क्योंकि केंद्र द्वारा दी जाने वाली 100 करोड़ रुपये की सहायता कई ऐसी शर्तों के साथ थी जो प्रदेश को आर्थिक रूप से नुकसान पहुंचा सकती थीं।
Shimla Politics News: एक रुपए प्रति वर्ग मीटर में ज़मीन देना था घाटे का सौदा
मंत्रियों ने बताया कि यदि राज्य सरकार केंद्र की सहायता लेती, तो उसे परियोजना की 300 एकड़ भूमि मात्र एक रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से उद्योगपतियों को देनी पड़ती। इसका मतलब हुआ कि करीब 500 करोड़ की कीमत वाली जमीन को मात्र 12 लाख रुपये में बेचना पड़ता। यह प्रदेशवासियों के हित में कतई नहीं था।
बिजली-पानी मुफ्त, राज्य पर भारी बोझ
मेडिकल डिवाइस पार्क की शर्तों में यह भी शामिल था कि उद्योगों को तीन रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली उपलब्ध करवाई जाए, जबकि राज्य सरकार को बिजली सात रुपये प्रति यूनिट की दर से खरीदनी पड़ती। साथ ही, पानी, रखरखाव और गोदाम सुविधाएं भी दस वर्षों तक मुफ्त देनी होतीं। इससे राज्य सरकार को करोड़ों रुपये का अतिरिक्त व्यय करना पड़ता।
Shimla Politics News: सीएम सुक्खू ने प्रदेश हित में लौटाए केंद्र के 25 करोड़
मंत्रियों ने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने जब यह आकलन किया कि इन शर्तों से प्रदेश को लाभ नहीं, बल्कि नुकसान होगा, तो उन्होंने केंद्र सरकार से प्राप्त 25 करोड़ रुपये वापस करने का निर्णय लिया। यह फैसला पूरी तरह से प्रदेश हित में लिया गया है।
जीएसटी से नहीं होता कोई लाभ
उन्होंने यह भी बताया कि इस परियोजना से प्रदेश को जीएसटी के रूप में कोई सीधा लाभ नहीं मिलने वाला था, क्योंकि जीएसटी का लाभ उस राज्य को मिलता है, जहां उत्पाद की बिक्री होती है। साथ ही, केंद्र सरकार ने स्टेट जीएसटी में 70% छूट देने की शर्त भी रखी थी, जिससे राज्य के राजस्व को और अधिक नुकसान होता।