Hamirpur Crime News: हमीरपुर में रिटायर्ड कर्नल से 49 लाख की साइबर ठगी
16 दिन के 'डिजिटल अरेस्ट' में रखा, मुंबई क्राइम ब्रांच बनकर दिया झांसा;
Hamirpur Crime News: हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले में एक चौंकाने वाला साइबर अपराध सामने आया है, जहां एक रिटायर्ड आर्मी कर्नल और उनकी पत्नी को ठगों ने ‘डिजिटल अरेस्ट’ का डर दिखाकर 49 लाख रुपये की ठगी का शिकार बना लिया। जालसाजों ने खुद को मुंबई क्राइम ब्रांच अधिकारी बताकर व्हाट्सएप वीडियो कॉल के ज़रिए झांसा दिया और बैंक खाते सील होने का डर दिखाकर रकम ट्रांसफर करवा ली।
वीडियो कॉल से शुरू हुई साज़िश
हमीरपुर जिले के एक सेवानिवृत्त कर्नल को 23 मार्च को व्हाट्सएप पर एक वीडियो कॉल आई। कॉल पर मौजूद व्यक्ति ने खुद को मुंबई पुलिस की अपराध शाखा का अफसर बताया और आरोप लगाया कि उनके आधार कार्ड का दुरुपयोग कर चार सिम कार्ड लिए गए और मुंबई में एक बैंक खाता खोला गया है, जिसका इस्तेमाल दो करोड़ रुपये की धोखाधड़ी में हुआ है।
Hamirpur Crime News: डिजिटल अरेस्ट का डर दिखाकर ट्रांसफर करवाई रकम
ठगों ने दंपत्ति को डराया कि उनके बैंक खातों की जांच हो रही है और उन्हें सहयोग करना होगा। लगातार वीडियो कॉल पर रहने का दबाव बनाते हुए, ठगों ने आरटीजीएस के ज़रिए 29 मार्च को 9 लाख और 4 अप्रैल को 40 लाख रुपये अपने बताए खातों में ट्रांसफर करवा लिए। दंपत्ति को 7 अप्रैल तक कॉल पर रखकर मानसिक दबाव में रखा गया, जिसे साइबर अपराध की भाषा में 'डिजिटल अरेस्ट' कहा जा रहा है।
ठगे गए पैसे 22 खातों में डाले गए
जब दंपत्ति को संदेह हुआ कि वे धोखाधड़ी का शिकार हुए हैं, तो उन्होंने 10 अप्रैल को मंडी साइबर क्राइम थाना में शिकायत दर्ज करवाई। जांच में सामने आया कि कुल 49 लाख रुपये 22 अलग-अलग बैंक खातों में ट्रांसफर किए गए थे। पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए 5.58 लाख रुपये की रकम पर रोक लगा दी है।
DIG की अपील: 'डिजिटल अरेस्ट' सिर्फ एक झांसा है: Hamirpur Crime News
साइबर अपराध के DIG मोहित चावला ने बताया कि ‘डिजिटल अरेस्ट’ नाम की कोई कानूनी प्रक्रिया नहीं है। यह केवल ठगों की एक नई चाल है, जिससे वे खुद को अधिकारी बताकर लोगों को मानसिक रूप से कैद करते हैं और डर के माहौल में उनसे पैसे ऐंठते हैं। उन्होंने लोगों से अपील की कि अगर किसी प्रकार का संदिग्ध कॉल या मैसेज आए तो तुरंत हेल्पलाइन नंबर 1930 पर संपर्क करें।
क्या है ‘डिजिटल अरेस्ट’?
‘डिजिटल अरेस्ट’ एक नया साइबर फ्रॉड तरीका है, जिसमें ठग खुद को कानून प्रवर्तन एजेंसी का अधिकारी बताकर ऑडियो या वीडियो कॉल के ज़रिए व्यक्ति को यह यकीन दिलाते हैं कि वे किसी गंभीर केस में फंसे हुए हैं। डर के माहौल में व्यक्ति अपने घर पर बैठकर वीडियो कॉल पर निगरानी में रहता है, और उसे धीरे-धीरे अपनी जमा पूंजी ठगों को ट्रांसफर करनी पड़ती है।