Shimla Today News: एचपीयू को शोध के लिए 10 करोड़ की ग्रांट
आईआईटी रोपड़ के साथ मिलकर हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय स्तर पर अनुसंधान प्रोत्साहन;
Shimla Today News: हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (एचपीयू) को भारत सरकार के राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (एनआरएफ) के तहत 10 करोड़ रुपये का महत्वपूर्ण अनुसंधान अनुदान प्राप्त हुआ है। इस फंडिंग से एचपीयू की शोध गतिविधियों को बल मिलेगा और संस्थान की राष्ट्रीय रैंकिंग बेहतर होगी।
राष्ट्रीय स्तर की ग्रांट से एचपीयू को मिलेगा शोध में बढ़ावा
भारत सरकार की ओर से चलाए जा रहे त्वरित नवाचार और अनुसंधान कार्यक्रम के अंतर्गत हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय को 10 करोड़ रुपये की ग्रांट स्वीकृत की गई है। यह ग्रांट नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (एनआरएफ) द्वारा दी गई है, और इस प्रस्ताव में एचपीयू ने आईआईटी रोपड़ के साथ सहभागिता की है। इस सहयोग मॉडल में आईआईटी रोपड़ ‘हब’ संस्थान और एचपीयू ‘स्पोक’ संस्थान के रूप में कार्य करेगा।
Shimla Today News: एडवांस्ड मैटेरियल्स पर किया गया था प्रस्ताव
जनवरी 2025 में एचपीयू और आईआईटी रोपड़ ने संयुक्त रूप से "एडवांस्ड मैटेरियल्स" विषय पर यह शोध प्रस्ताव एनआरएफ को भेजा था। इस पहल के तहत हब और स्पोक संस्थानों को कुल 100 करोड़ रुपये तक की फंडिंग 30:70 के अनुपात में दी जाएगी, जिसमें से एचपीयू को 10 करोड़ रुपये प्राप्त होंगे।
Shimla Today News: परियोजना टीम में कई विभागों के विशेषज्ञ शामिल
एचपीयू के कुलपति प्रो. एसपी बंसल ने जानकारी दी कि इस परियोजना के प्रमुख अन्वेषक रसायन विज्ञान विभाग के डॉ. रमेश ठाकुर हैं। सह-मुख्य अन्वेषकों में रसायन विज्ञान विभाग के डॉ. संदीप चौहान, भौतिकी विभाग के डॉ. बलबीर सिंह पटियाल, जैव प्रौद्योगिकी विभाग के डॉ. रवि कांत भाटिया और ईसीई (यूआईटी) विभाग के डॉ. मनीष कुमार शामिल हैं।
भौतिकी विभाग के प्रो. महावीर सिंह परियोजना के नोडल अधिकारी हैं, जबकि प्रो. नागेश ठाकुर और प्रो. एनएस नेगी संरक्षक की भूमिका में हैं।
Shimla Today News: विश्वविद्यालय की रैंकिंग में होगा सुधार
कुलपति प्रो. बंसल ने कहा कि यह अनुदान एचपीयू के शोध परिवेश को नई दिशा देगा और इससे विश्वविद्यालय की रैंकिंग एवं प्रतिष्ठा में स्वाभाविक रूप से वृद्धि होगी। उन्होंने पूरी परियोजना टीम को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी।
एचपीयू के प्रो. राजेंद्र वर्मा ने भी टीम की सराहना करते हुए विश्वविद्यालय समुदाय से भविष्य में भी इस तरह की फंडिंग प्राप्त करने के लिए निरंतर प्रयास करते रहने की अपील की।