Shimla News: अब विधायकों की सहमति के बिना नहीं होंगे तबादले

हिमाचल सरकार का बड़ा फैसला – स्थानांतरण में अब विधायक की अनुमति होगी अनिवार्य;

Update: 2025-04-29 06:06 GMT

Shimla News: हिमाचल प्रदेश सरकार ने कर्मचारियों और अधिकारियों के तबादलों को लेकर बड़ा निर्णय लिया है। अब किसी भी विभाग में तबादला करने से पहले संबंधित क्षेत्र के विधायक की सहमति लेना अनिवार्य कर दिया गया है। इससे पहले बिना स्थानीय जनप्रतिनिधियों को विश्वास में लिए तबादले किए जा रहे थे, जिससे कई विभागों में स्टाफ की असमानता देखी गई।

अब तबादले से पहले लेनी होगी विधायक की सहमति

हिमाचल प्रदेश सरकार ने स्पष्ट किया है कि अब किसी भी कर्मचारी या अधिकारी का तबादला तब तक नहीं होगा, जब तक कि संबंधित विधानसभा क्षेत्र के विधायक की सहमति प्राप्त न हो। इसके साथ ही विभागीय मंत्री का नोट भी जरूरी रहेगा। यह कदम इसलिए उठाया गया है क्योंकि विधायकों को अपने क्षेत्र की जरूरतों और हालात की बेहतर जानकारी होती है।

Shimla News: तबादलों से पैदा हो रही थी असमानता

कुछ विभागों जैसे शिक्षा, लोक निर्माण, जल शक्ति और बिजली बोर्ड में विधायकों को विश्वास में लिए बिना तबादले किए गए थे। इससे कुछ क्षेत्रों में स्टाफ अधिक हो गया, तो कहीं पूरी तरह खाली सीटें रह गईं। इस स्थिति को सुधारने के लिए अब स्थानांतरण प्रक्रिया में विधायक की सहभागिता को अनिवार्य कर दिया गया है।

दौरे के दौरान मिलते हैं तबादले के पत्र

मुख्यमंत्री या मंत्री जब क्षेत्रीय दौरे पर होते हैं, तो स्थानीय लोग व कर्मचारी उन्हें तबादलों से संबंधित आवेदन पत्र सौंपते हैं। उन पर आधारित नोट्स संबंधित विभागों को भेजे जाते हैं और तबादले कर दिए जाते हैं। कई बार जिन पदों से ट्रांसफर होता है, वहां दूसरा कोई कर्मचारी मौजूद नहीं होता, जिससे सेवाओं में बाधा आती है।

Shimla News: विधायकों को भी देखनी होगी विभागीय स्थिति

अब विधायकों को भी केवल जनभावनाओं को नहीं, बल्कि विभागीय आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए तबादले की सिफारिश करनी होगी। उन्हें यह देखना होगा कि उनके क्षेत्र के किस विद्यालय में शिक्षक नहीं हैं या किन विभागों में स्टाफ की कमी है।

15 अप्रैल के बाद नोट्स नहीं हो रहे स्वीकार

शिक्षा विभाग में तबादलों पर लगी रोक को सरकार ने हटाया था और 15 अप्रैल तक प्राप्त डीओ (DO) नोट्स को मान्य किया गया था। लेकिन इसके बाद भेजे गए नोट्स को विभाग ने कंसीडर करना बंद कर दिया है। कई स्कूल अभी भी स्टाफ की कमी से जूझ रहे हैं, वहीं कुछ में स्टाफ आवश्यकता से अधिक है।

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