Himachal News Today: अब सरकारी एजेंसियां चलाएंगी शराब ठेके, वन निगम को कांगड़ा और उद्योग निगम को कुल्लू की जिम्मेदारी
हिमाचल प्रदेश में अब शराब व्यापार की कमान सरकारी संस्थाओं के हाथ में;
सार
Himachal News। टुडे हिमाचल प्रदेश सरकार ने राज्य में शराब ठेकों के संचालन का जिम्मा अब विभिन्न सरकारी एजेंसियों को सौंपने का निर्णय लिया है। कांगड़ा, कुल्लू, मंडी, बिलासपुर और शिमला जैसे जिलों में अलग-अलग एजेंसियों को ठेकों का संचालन सौंपा गया है। यह कदम सरकार की आय बढ़ाने और आबकारी नीति को नियंत्रित तरीके से लागू करने के प्रयास का हिस्सा है।
अब एजेंसियां चलाएंगी शराब ठेके
हिमाचल में अब निजी व्यापारियों की बजाय सरकारी एजेंसियां शराब ठेके चलाएंगी। इसमें वन विकास निगम, सामान्य उद्योग निगम, एचपीएमसी, सिविल सप्लाई कॉरपोरेशन और हिमफेड जैसी संस्थाएं शामिल हैं। पहले ये एजेंसियां लकड़ी, जूस, वाइन, खाद्य आपूर्ति और उर्वरक जैसे क्षेत्रों में काम करती थीं, लेकिन अब इन्हें शराब की खुदरा बिक्री का कार्य भी सौंपा गया है।
जिलावार जिम्मेदारी तय: Himachal News
कांगड़ा जिला: वन विकास निगम को प्रदेश के सबसे बड़े जिले में लगभग 100 शराब ठेके चलाने की जिम्मेदारी दी गई है।
कुल्लू जिला: यहां सामान्य उद्योग निगम (GIC) को 30 शराब ठेके सौंपे गए हैं।
मंडी जिला: स्टेट इंडस्ट्रियल डिवेलपमेंट कॉरपोरेशन को शराब ठेकों का संचालन सौंपा गया है।
बिलासपुर: सिविल सप्लाई कॉरपोरेशन को ठेके चलाने की जिम्मेदारी दी गई है।
शिमला: यहां HPMC को 35, नगर निगम शिमला को 19 और हिमफेड को 24 ठेके दिए जाने का प्रस्ताव है।
सरकारी ढांचे में बदलाव की तैयारी
इन एजेंसियों के पास पहले से मौजूद इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ-साथ अब शराब ठेकों को संभालने के लिए अतिरिक्त व्यवस्थाएं भी करनी होंगी। विशेष रूप से सिविल सप्लाई कॉरपोरेशन को अपने मौजूदा वितरण तंत्र में बदलाव करना होगा ताकि शराब की बिक्री भी संभव हो सके।
Himachal News: पहले भी हुआ था प्रयास, अब बड़ा टारगेट
पूर्व में भी सरकारों ने शराब की सरकारी बिक्री का मॉडल अपनाने की कोशिश की थी, लेकिन वह पूरी तरह सफल नहीं हो पाया था। इस बार राज्य सरकार ने इसे बड़े लक्ष्य के साथ लागू किया है। वित्त वर्ष 2025 में राज्य कर एवं आबकारी विभाग को 2850 करोड़ रुपये की कमाई का लक्ष्य दिया गया है। हालांकि 250 से अधिक शराब ठेकों की नीलामी न होने से इसमें रुकावट आई है, जिसकी भरपाई के लिए विभाग ने वैकल्पिक योजनाएं तैयार की हैं।
रिजर्व प्राइस से कम पर सौंपे जाएंगे ठेके
राज्य सरकार इन एजेंसियों को शराब ठेके रिजर्व प्राइस से कम कीमत पर देगी। वहीं शराब की बिक्री अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) पर की जाएगी। इस मॉडल से एजेंसियों को भी अतिरिक्त आमदनी होगी और सरकार को भी राजस्व में बढ़ोतरी की उम्मीद है।